Wednesday 10 September 2014

क्षमा -भाव

क्षमा हृदय धारण करे जो,
               बन जाता इंसान वो.
इंसानों की बस्ती में रहकर,
             बन जाता भगवान वो.
वीर पुरुष कहते उसी को,
            क्षमाशील जो होता है.
करुणा के पावन नीर से,
           हृदय कलुष को धोता है.
 क्षमा धर्म है क्षमा कर्म है,
           क्षमा का करते रहें हम ध्यान,
ईर्ष्या भरी दुनियां में रहकर,
            ''बिमल ''करें सदा कल्याण।

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