Sunday 31 August 2014

गुरु ग्रंथसाहिब

गुरु ग्रंथसाहिब
         राग अधारित
गुरु ग्रंथसाहिब
          साज़ अधारित
ऐसी बाणी ;
           मीठी लागै
अहनद नाद
           इसमेँ है सजे
सकल मानवता
       के हितकारी
नाज़ करे है
           दुनिया सारी
इसके दर पर
            जो भी  जाता
भवसागर से
            ''बिमल''तर जाता।

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Saturday 30 August 2014

वृक्ष नहीं तो हम नहीं हैं।

चिन्ता से लिपटे चेहरे हैं ,
              आशा की किरण नहीं
धरती रहती थी हरी भरी ,          
                अब तो वैसी कहीं नही।
बन कटे बस्ती बनी है ,
           आबादी हर कहीं घनी है
साँस भी लेना कठिन हुआ है ,
             जीना क्या ?मुश्किल हुआ है
मुख कान्ति पीली पड़ी है
            बढ़ी नहीं है उमर घटी है
सौ वर्ष जीयं ,वो कम हैं
               ,लड़ें मौत से किसमे दम है
वृक्ष नहीं तो हम नहीं हैं ,
वृक्ष नहीं तो हम नहीं हैं।

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,हे माँ क्या तुझे तरस न आया?

कभी परी तो
         कभी गुड़िया की
 संज्ञा देती
                बेटी को माँ
 वो माँ आज
                   बेगानी हो गई 
उससे ''बिमल ''
       नादानी हो गई ,
गर्भ पात उसने
              करवाया ,
गर्भ में बेटी को
                 मरवाया ,
हे माँ क्या तुझे
              तरस न आया 
,हे माँ क्या तुझे
                   तरस न आया?

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Friday 29 August 2014

नया गुलिस्तां बनाएं

जैसे पंछी किसी गगन में,
                   कभी उड़ते हैं कभी गाते हैं ,
जैसे फूल किसी गुलशन में,
                       एक साथ मुस्कराते हैं ,
आओ ज़माना ढूंढे ऐसा ,
                         जहाँ हम सब साथी बन जाएं ,
फूलों की तरह मुस्कराएं
                           ,पंछिओं की तरह गुनगुनाएं,
''बिमल''नया गुलिस्तां बनाएं।
 
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Thursday 28 August 2014

पहली लड़की हुई है घर में

पहली लड़की हुई है घर में
              ,,बटी नही बधाई है,
दूसरी लड़की ,माँ बाप
             की बरबस आँख भर आई है
तीसरी लड़की के होने पर
            मातम बहुत मनाया है
चौथी लड़की को जन्म से
                      पहले ही मरवाया है
पाँचवी बार ''बिमल ''है लड़का,
           आनन्द खूब मनाया है
इसी लड़के ने माँ बाप को    
          वृदाश्रम  दिखलाया है।

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वातावरण की सोच तूं

जीना तो
     होगा कठिन।
           मरना तो होगा आसान।

 वातावरण की
        सोच तूं
             कैसे जीएगा नादान? 
हर तरफ
         धुआँ होगा 
              न कहीं होगी बहार ,

पेड़ लगाकर
             कर दो साबित
                         ''बिमल ''देश से कितना प्यार। 


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Wednesday 27 August 2014

किरणें पैराबेंगनी

ओज़ोन परत को छेद कर
              किरणें पैराबेंगनी
धरती को छू लेंगी तो
                   फिर क्या होगा ?

कट गये सब पेड़
            धरती से अगर
कैसे रहेंगे धरती पर
           फिर क्या होगा ?

एयरकंडीशन में रहे
            जो चौबीसों घण्टे
ताजी हवा न मिलेगी
             तो फिर क्या होगा ?

जो हो गया हर आदमी
            शिकार मर्ज़ का
  ''बिमल ''कैसे जियेगा
             फिर क्या होगा ?


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Tuesday 26 August 2014

ਨਕਲਾਂ ਨਾਲ ਨਾ ਜੀਵਨ ਬਣਦੇ

ਵਿਦਿਆ ਨਾਲ ਸਬ ਪੇਲਾਂ ਪਾਂਦੇ ,
ਨਕਲਾਂ ਵਾਲੇ ਦੁਖ ਉਠ੍ਹਾਂਦੇ। 
   
     *    *
 ਵਿਦਿਆ ਬਣਾਵੇ ਸਮੇ ਦਾ ਹਾਣੀ 
ਸਦੀਆਂ ਦੀ ਇਹ ਰੀਤ ਪੁਰਾਣੀ। 
       
      *    *

ਨਕਲ ਕੋਹੜ ਨੂ ਜੜ੍ਹ ਤੋਂ ਮਿਟੋਨਾ 
ਸਾਥ ਦੇਵੇ ਜੇ ਸਾਰਾ ਜਮਾਨਾ। 
  
      *      *

ਚਰਿਤਰ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਹੈ ਕਰਨਾ 
ਨਕਲ ਕਰਨ ਤੋਂ ਸਦਾ ਹੀ ਡਰਨਾ। 

      *       *

ਮਾਂ ਬਾਪ ਦੇਣ ਇਹ ਸੰਸਕਾਰ 
ਨਕਲ ਪੜਨ ਦਾ ਨਹੀ ਅਧਾਰ। 


     *        *

Monday 25 August 2014

कन्या भ्रूण हत्या

जिस धरती पर धरती को भी
                     माता समझा जाता है
नवरात्रों में कन्या को ;
              विधाता समझा जाता है
वहीँ गर्भ में बेटियां अब
                    टुकड़े टुकड़े होती हैं
जीवन ज्योति जगने से पहले
              मौत की नींद में सोती हैं
मन्दिरों में पूजा जाता
               जन्म न पर होने दिया
कंजकों में पूजा जाता
              पलने में न सोने दिया
 पुरुष प्रधान समाज में नारी
                बेबस ''बिमल ''यूँ होती है
कन्या भ्रूण हत्या करवाती ,
              और छुप छुप कर रोती है। .

   

कन्याओं को अब तो बचाएं।

मादा भ्रूण हत्याओं से ,
        उभरने का प्रयास करें
कोख में पलती लड़कियों की
                 आओ रक्षा आज करें।
मादा भ्रूण हत्या करना
            सभ्यता का उत्थान नहीं है ,
अपमान है मानवता का 
           दुष्कर्म है ,सम्मान नही है
स्त्री पुरुष अनुपात अब
                   बुरी तरह गड़बड़ा गया है ,
आगे जाने होगा क्या क्या
                सोचकर मन घबरा गया है।
हिंदुस्तान में कन्या भ्रूण हत्या
        के विरुद्ध अभियान चलायें
गिर रहा अनुपात ''बिमल ''
             कन्याओं को अब तो बचाएं।

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Sunday 24 August 2014

पेड़ काटना नादानी है

मुझे काटकर धरती से
कर दिया तुमने जुदा
मैं नही ,तो ये खुदा
दे देगा तुम को सजा।

मुझे काट कर खुद के पैरों
पर कुल्हाड़ी मारोगे
दम घुट जायेगा धुएं से
तब तुम मुझे पुकारोगे।

बिन बरसे बीतेगा सावन
एक बूँद को तरसोगे
बादल होंगे न कहीं तुम
सावन बनकर बरसोगे।

मैं जीवन का प्राणधार
मेरी तो यही कहानी है
मैं हूँ तो दुनिया ''बिमल ''
मुझे काटना  नादानी है।

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Saturday 23 August 2014

पेड़ लगाएं

पेड़ लगा ,कर इनसे प्यार 
        मानवता का कर उद्धार। 

मानव न पेड़ लगाएगा,
         जीवन कैसे जी पाएगा। 

पेड़ लगाएं ,प्रदूषण भगाएं ,
            जन जीवन को सुखी बनाएं। 

धरती को स्वर्ग बनाना है 
              प्रदूषण दूर भगाना है।

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Friday 22 August 2014

वातावरण को करें शुद्ध

कैंसर जैसे रोगों की भरमार तभी है
वातावरण है अशुद्ध वृक्षों की कमी है

आजकल तो साँस भी लेना है कठिन
समस्या एक़ की नही ये तो सब की है

खोया है हर आदमी अपनी ही धुन मे
पैसा कमाने की होड़ सब में लगी है

देखो जीवन हो न जाए नरक ''बिमल ''
वातावरण को करें शुद्ध किसको पड़ी है।
       
           *   *     *

Thursday 21 August 2014

कम से कम इक पेड़ लगाओ

कहीं दमा तो कहीं तपेदिक ,
        किसी को आता है बुखार,
               चारों ओर फैला प्रदूषण ,
                      इसने किया सब को बीमार।

मोटर कार कहीं फैक्टरी
         की चिमनी से निकले धुँआ
                      कार्बनडाइऑक्साइड हर तरफ
                                        ऑक्सीजन का हुआ खात्मा।

वृक्ष कहां जो ताजी हवा को
           उगलें ,खाए गन्दी हवा
                       मानव इसका उतरदायी
                                    वृक्ष काट खुद हुआ तबाह।

अभी समय खुद को बचालो
                  वातावरण की करो सफाई
                               कम से कम इक पेड़ लगाओ
                                        बात ''बिमल ''जो समझ में आई।

                        *  *  *

मुझे नही खुद को उजाड़ा

धूप में
       तपती रही मैं
                  तरस मुझ पर जरा न आया
और पेड़ थे
                  क्या लगाने
                           लगे हुओं को काट गिराया
मुस्कराना
           खिलखिलाना
                    क्यों मेरा न तुझको भाया
मुझे नही
          खुद को उजाड़ा
                  बिमल''इतना भी समझ न पाया।

Wednesday 20 August 2014

पेड़ों को बचाना

वो पक्षिओं का कलरव ,
        हवाओं का गुनगुनाना ,
वो सावन आया हम पर ,
         झूलों का मुस्कराना।

वो डालों पर रंगबिरंगे ,
             फूलों का इतराना
वो नीड़ पक्षिओं का,
       कहाँ है वो खजाना ?

मेरा गर्व से ऊँचा ,
           आकाश छू जाना,
अब गिरा हूँ धरती पर
             ''बिमल ''मुझे बचाना।

               *****

वृक्ष न लगेंगे तो

वृक्ष न लगेँगे तो ,
              सूखे पड़ जाएंगे
सूखे पड़ गए तो
               भूखे मर जाएंगे

भुखमरी तब होगी
             रोगी जहान होगा
हश्र तेरा जाने क्या
              अरे ,नादान होगा

तपश बढ़ जाएगी
             ग्लेशियर पिंघल जाएंगे
दरियाओं के किनारे
               गाँव बह जाएंगे

क़यामत ही क़यामत
                     तब होगी चारों ओर
वृक्ष लगा ''बिमल ''
                    इन बाधाओं को रोक।
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Tuesday 19 August 2014

पॉलीथिन

पॉलीथिन से करें परहेज़
आगे बढ़े हमारा देश

*        *         *           *
पॉलीथिन से भूमि बँजर
घुन के जैसा भूमि अन्दर

*       *         *          *
अमृत को भी ज़हर बनाए
पॉलीथिन जब आड़े आए

*       *          *        *
धरती बेचारी परउपकारी
पॉलीथिन से बेबस सारी

*       *        *          *
पॉलीथिन ऐसी बीमारी
जिससे हारी दुनिया सारी
*       *        *         *


यू तो अन्धेरे और बढ़ेंगे

बेटा पैदा नही हुआ और ,
बेटी को हम गर्भ में मारें ,
यू तो अंधेरे और बढ़ेंगे ,
कहाँ से आयेंगे उजाले? 

कहाँ से सृस्टि का परसार?,
कहाँ से महापुरष अवतार ?
कहाँ ,कैसे होगा घरबार ,
कैसे होगा मानव उद्दार ?

कैसे माँ और बहन रहेगी ,
पत्नी पति के संग चलेगी ?
बेटी का तो नाम न होगा 
बेटोँ का सम्मांन न होगा 

शादी ब्याह प्रथा न होगी ,
दहेज़ की तब क्या व्यथा न होगी ?
पिता पुत्र भाई सब होंगे 
बेटी ,बहन क्या ?सब सोचेगे। 

माँ की संज्ञा मिट जायगी ,
कन्या जो गर्भ में मर जायगी 
कन्या जो गर्भ में मर जाएगी 
''बिमल ''दुल्हन कहाँ आयेगी ?
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Monday 18 August 2014

बसेरा

न वट वृक्ष, न है शीशम
         न पीपल की है सरसराहट
पक्षिओं का कलरव कहाँ
       कहाँ आती है बसन्त की आहट
दुर्लभ पक्षी हो रहें हैं
            कहाँ बसेरा वो करें
कट रहें पेड़ यहाँ वहाँ
           अपना नीड कहाँ धरे
जंगल भी है सूना सूना
          पशुओं की कतार नही
अपने करतब से बहलायं
                 आई अब वो बहार नही
न पेड़ है, न हैं पक्षी
             स्वच्छ हवा न, क्या करेगा
ऎसे ही चलता रहा तो
              प्राणी '' बिमल '' क्या करेगा.
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बच्चों को उपहार -प्रदूषण?

धन कमाना
अपने जन्म दिए बच्चों को 
पढ़ा लिखाकर बड़ा बनाना। 
घर सजाना 
महल बनाना 
ऐश्वर्य युक्त जीवन को पाकर 
खिलखिल जाना।
बूढ़े हो जाना 
हाथ पैर ढीले पड़ जाना। 
शक्ति सारी क्षीण हो जाना
 बच्चों में सेवा भाव जगाना 
उनके कंधो का ले सहारा 
घऱ से स्वर्ग तक दौड़   लगाना 

आना और जाना। 
आए तो गंदगी फैलाई 
गए तो धुआँ फैलाया
प्रदूषण को और बढ़ाया
जीवन भर जहाँ श्वास ली तुमने
एक पेड़ तक न लगाया।

पैरों  तले रौन्धा है जिसको
उस धरती पर तरस न खाया
पोलीथिन का कर प्रयोग
उसको ही बंजर बनाया।
जिसने शीतल छाँव दी तुमको
चूल्हे में उसको जलाया
''बिमल'''जरा सा तरस न खाया।।

न वर्षा अब समय पर होती
खाद्य पदार्थ शक्ति नही है
प्रदूषित ,शुद्ध कुछ भी नही
जीवन की वो अवधि नही है।

जल प्रदूषित ,वायु प्रदूषित
मन प्रदूषित ,आयु प्रदूषित
प्रदूषण चारों ओर फैला
धरती का आँचल हुआ है मैला

गगन भी धुँए से भरा है
सूख गया सब कुछ भी न हरा है।
प्रदूषण की बात करें
किसको क्या सौगात करें ?

बच्चों को उपहार ?प्रदूषण
मानव का श्रृंगार ?प्रदूषण
धरती का उद्धार ?प्रदूषण
 अब करो कुछ ख्याल ?**************बिमला देवी 

Saturday 16 August 2014

अहिंसा

मन में अहिंसा
            कर्म में अहिंसा
                        वचन में अहिंसा अपनाओ
    शुभकर्म '' बिमल''
                    ऐसे करो
                                महावीर तुम बन जाओ।

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Friday 15 August 2014

बेबस नारी

जिस धरती पर धरती को भी ,
         माता समझा जाता है ,
नवरात्रों में कन्यां को ,
        विधाता समझा जाता है ,
 वहीं गर्भ में बेटिए ,
             टुकड़े टुकड़े होती हैं
जीवन ज्योति जगने से पहले
               मौत की नींद में सोती हैं। 
मंदिरों में पूजा जाता ,
         जन्म न पर होने दिया
कंजकों में पूजा जाता
         पलने में न सोने दिया
पुरुष प्रधान समाज में नारी ,
        बेबस' बिमल 'यूं  होती है
कन्या भ्रूण ह्त्या करवाती
         और छुपछुप कर रोती है.,

ये गीत वतन है तेरे नाम


आज़ादी के परवाने ही नया इतिहास रचाते हैं ,
ग़ुलामी की ज़ंजीरों से हमें आज़ाद कराते हैं। 

अपने लहू की होली खेलते, देते तन की कुर्बानी,
देश भक्ति का ज़ज्बा भरकर ,वार वो देते जिंदगानी,
वो खेले हैं खून की होली हम दीवाली मनाते हैं 
आज़ादी के परवाने ही नया इतिहास रचाते हैं ,

वीरों ने कुर्बानी दी तो भारत देश आज़ाद हुआ ,
आज यहां हम उनके दम से जीने का आगाज़ हुआ ,
गुलामी जीवन क्या जीवन वो हमें याद कराते हैं ,
आज़ादी के परवाने ही नया इतिहास रचाते हैं.

आओ उनको नमन करें हम'' बिमल ''दिवस वो आया है ,
देशभक्ति के गीत सजे तिरंगा भी लहराया है 
कोटि कंठों से जयभारत के हम उद्धघोष लगाते हैं 
आज़ादी के परवाने ही नया इतिहास रचाते हैं। 

Thursday 14 August 2014

हम सब साथी बन जाएं

जैसे पंछी किसी गगन में ,
   कभी उड़ते हैं , कभी गाते हैं ,
     जैसे फूल  किसी गुलशन में ,
        एक  साथ  मुस्कराते हैं ,
             आओ जमाना  ढूढ़ें  ऐसा ,
                जहाँ   हम सब  साथी बन जाएं 
                      फूलों की तरह मुस्कराएँ 
                           पंछिओं की तरह गुनगुनाएं