न वट वृक्ष, न है शीशम
न पीपल की है सरसराहट
पक्षिओं का कलरव कहाँ
कहाँ आती है बसन्त की आहट
दुर्लभ पक्षी हो रहें हैं
कहाँ बसेरा वो करें
कट रहें पेड़ यहाँ वहाँ
अपना नीड कहाँ धरे
जंगल भी है सूना सूना
पशुओं की कतार नही
अपने करतब से बहलायं
आई अब वो बहार नही
न पेड़ है, न हैं पक्षी
स्वच्छ हवा न, क्या करेगा
ऎसे ही चलता रहा तो
प्राणी '' बिमल '' क्या करेगा.
=====
न पीपल की है सरसराहट
पक्षिओं का कलरव कहाँ
कहाँ आती है बसन्त की आहट
दुर्लभ पक्षी हो रहें हैं
कहाँ बसेरा वो करें
कट रहें पेड़ यहाँ वहाँ
अपना नीड कहाँ धरे
जंगल भी है सूना सूना
पशुओं की कतार नही
अपने करतब से बहलायं
आई अब वो बहार नही
न पेड़ है, न हैं पक्षी
स्वच्छ हवा न, क्या करेगा
ऎसे ही चलता रहा तो
प्राणी '' बिमल '' क्या करेगा.
=====
No comments:
Post a Comment