Monday, 25 August 2014

कन्या भ्रूण हत्या

जिस धरती पर धरती को भी
                     माता समझा जाता है
नवरात्रों में कन्या को ;
              विधाता समझा जाता है
वहीँ गर्भ में बेटियां अब
                    टुकड़े टुकड़े होती हैं
जीवन ज्योति जगने से पहले
              मौत की नींद में सोती हैं
मन्दिरों में पूजा जाता
               जन्म न पर होने दिया
कंजकों में पूजा जाता
              पलने में न सोने दिया
 पुरुष प्रधान समाज में नारी
                बेबस ''बिमल ''यूँ होती है
कन्या भ्रूण हत्या करवाती ,
              और छुप छुप कर रोती है। .

   

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