Wednesday, 20 August 2014

पेड़ों को बचाना

वो पक्षिओं का कलरव ,
        हवाओं का गुनगुनाना ,
वो सावन आया हम पर ,
         झूलों का मुस्कराना।

वो डालों पर रंगबिरंगे ,
             फूलों का इतराना
वो नीड़ पक्षिओं का,
       कहाँ है वो खजाना ?

मेरा गर्व से ऊँचा ,
           आकाश छू जाना,
अब गिरा हूँ धरती पर
             ''बिमल ''मुझे बचाना।

               *****

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