वो पक्षिओं का कलरव ,
हवाओं का गुनगुनाना ,
वो सावन आया हम पर ,
झूलों का मुस्कराना।
वो डालों पर रंगबिरंगे ,
फूलों का इतराना
वो नीड़ पक्षिओं का,
कहाँ है वो खजाना ?
मेरा गर्व से ऊँचा ,
आकाश छू जाना,
अब गिरा हूँ धरती पर
''बिमल ''मुझे बचाना।
*****
हवाओं का गुनगुनाना ,
वो सावन आया हम पर ,
झूलों का मुस्कराना।
वो डालों पर रंगबिरंगे ,
फूलों का इतराना
वो नीड़ पक्षिओं का,
कहाँ है वो खजाना ?
मेरा गर्व से ऊँचा ,
आकाश छू जाना,
अब गिरा हूँ धरती पर
''बिमल ''मुझे बचाना।
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