ग़ुलामी की ज़ंजीरों से हमें आज़ाद कराते हैं।
अपने लहू की होली खेलते, देते तन की कुर्बानी,
देश भक्ति का ज़ज्बा भरकर ,वार वो देते जिंदगानी,
वो खेले हैं खून की होली हम दीवाली मनाते हैं
आज़ादी के परवाने ही नया इतिहास रचाते हैं ,
वीरों ने कुर्बानी दी तो भारत देश आज़ाद हुआ ,
आज यहां हम उनके दम से जीने का आगाज़ हुआ ,
गुलामी जीवन क्या जीवन वो हमें याद कराते हैं ,
आज़ादी के परवाने ही नया इतिहास रचाते हैं.
आओ उनको नमन करें हम'' बिमल ''दिवस वो आया है ,
देशभक्ति के गीत सजे तिरंगा भी लहराया है
कोटि कंठों से जयभारत के हम उद्धघोष लगाते हैं
आज़ादी के परवाने ही नया इतिहास रचाते हैं।
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