Friday, 15 August 2014

बेबस नारी

जिस धरती पर धरती को भी ,
         माता समझा जाता है ,
नवरात्रों में कन्यां को ,
        विधाता समझा जाता है ,
 वहीं गर्भ में बेटिए ,
             टुकड़े टुकड़े होती हैं
जीवन ज्योति जगने से पहले
               मौत की नींद में सोती हैं। 
मंदिरों में पूजा जाता ,
         जन्म न पर होने दिया
कंजकों में पूजा जाता
         पलने में न सोने दिया
पुरुष प्रधान समाज में नारी ,
        बेबस' बिमल 'यूं  होती है
कन्या भ्रूण ह्त्या करवाती
         और छुपछुप कर रोती है.,

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