Tuesday, 19 August 2014

यू तो अन्धेरे और बढ़ेंगे

बेटा पैदा नही हुआ और ,
बेटी को हम गर्भ में मारें ,
यू तो अंधेरे और बढ़ेंगे ,
कहाँ से आयेंगे उजाले? 

कहाँ से सृस्टि का परसार?,
कहाँ से महापुरष अवतार ?
कहाँ ,कैसे होगा घरबार ,
कैसे होगा मानव उद्दार ?

कैसे माँ और बहन रहेगी ,
पत्नी पति के संग चलेगी ?
बेटी का तो नाम न होगा 
बेटोँ का सम्मांन न होगा 

शादी ब्याह प्रथा न होगी ,
दहेज़ की तब क्या व्यथा न होगी ?
पिता पुत्र भाई सब होंगे 
बेटी ,बहन क्या ?सब सोचेगे। 

माँ की संज्ञा मिट जायगी ,
कन्या जो गर्भ में मर जायगी 
कन्या जो गर्भ में मर जाएगी 
''बिमल ''दुल्हन कहाँ आयेगी ?
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