बेटा पैदा नही हुआ और ,
बेटी को हम गर्भ में मारें ,
यू तो अंधेरे और बढ़ेंगे ,
कहाँ से आयेंगे उजाले?
कहाँ से सृस्टि का परसार?,
कहाँ से महापुरष अवतार ?
कहाँ ,कैसे होगा घरबार ,
कैसे होगा मानव उद्दार ?
कैसे माँ और बहन रहेगी ,
पत्नी पति के संग चलेगी ?
बेटी का तो नाम न होगा
बेटोँ का सम्मांन न होगा
शादी ब्याह प्रथा न होगी ,
दहेज़ की तब क्या व्यथा न होगी ?
पिता पुत्र भाई सब होंगे
बेटी ,बहन क्या ?सब सोचेगे।
माँ की संज्ञा मिट जायगी ,
कन्या जो गर्भ में मर जायगी
कन्या जो गर्भ में मर जाएगी
''बिमल ''दुल्हन कहाँ आयेगी ?
-----------
No comments:
Post a Comment