Monday 8 September 2014

प्रभु फिर से बुलाते हैं ,

महावीर प्रभु तुमको ,हम फिर से बुलाते हैं ,
तेरे चरणों में अपना ,ये शीश झुकाते हैं।

मुद्द्तों  से न तुमने ,है जग कल्याण किया ,
अब बेग चले आओ ,हमे पाप सताते हैं।

इस माया ठगनी ने ,जकड़ा है यूँ हमको
फिर खींच ले अपनी और ,तेरे पास जो आते हैं।

मानुष जीवन तो ''बिमल ''मुश्किल से मिलता है
अब पार लगा भी दो ,क्यों देर लगाते हैँ।

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