कश्मीर की आँखों से निरन्तर,
बह रही अश्रु की धारा,
पानी के सैलाब में ,
बह गया गुलिस्तां हमारा।
जन्नत सी सुंदरता कहाँ ?
;भुखमरी है यहां वहां ,
अस्त व्यस्त कायनात हो जैसे ,
बिखर गया है आशियाँ ,
आओ मिल मदद करें हम , ,
हाथ बढ़ा दे दें सहारा ,
मानवता की सेवा हित में ,
''बिमल''यही है फ़र्ज़ हमारा।
---------
* बिमला देवी *
बह रही अश्रु की धारा,
पानी के सैलाब में ,
बह गया गुलिस्तां हमारा।
जन्नत सी सुंदरता कहाँ ?
;भुखमरी है यहां वहां ,
अस्त व्यस्त कायनात हो जैसे ,
बिखर गया है आशियाँ ,
आओ मिल मदद करें हम , ,
हाथ बढ़ा दे दें सहारा ,
मानवता की सेवा हित में ,
''बिमल''यही है फ़र्ज़ हमारा।
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* बिमला देवी *
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