जहाँ वेदों में औरत को ,पूजा और सराहा है
कभी भक्ति कभी शक्ति ख़ुदा का रूप बताया है
वहां इस देश में क्यूंकर रुलाई जा रही औरत ,
कभी हिंसा ,कभी वहशत मिटाई जा रही औरत।
जहां धरती ,जहां नदियों को माता कह पुकारा है
वहीँ नारी का नारीत्व चमन क्योंकर उजाड़ा है
आँखों में लिए आँसू ,माटी में मिली औरत
गुनाह नहीँ एक भी फिर भी सजाएं भोग रही औरत
आँचल में लिए ममता ,हर जीवन संवारा है
उसी ने गर्दिशों के दौर में जीवन गुजारा है
अहम को छोड़ कर अपना उसे तूं साथ लेकर चल
स्वर्ग होगा तेरा घर दिल में आदर भाव लेकर चल
तभी सृस्टि ने औरत को ''बिमल ''धरती उतारा है
उसी से कौम है ,जन्नत उसी से जहां ये सारा है।
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कभी भक्ति कभी शक्ति ख़ुदा का रूप बताया है
वहां इस देश में क्यूंकर रुलाई जा रही औरत ,
कभी हिंसा ,कभी वहशत मिटाई जा रही औरत।
जहां धरती ,जहां नदियों को माता कह पुकारा है
वहीँ नारी का नारीत्व चमन क्योंकर उजाड़ा है
आँखों में लिए आँसू ,माटी में मिली औरत
गुनाह नहीँ एक भी फिर भी सजाएं भोग रही औरत
आँचल में लिए ममता ,हर जीवन संवारा है
उसी ने गर्दिशों के दौर में जीवन गुजारा है
अहम को छोड़ कर अपना उसे तूं साथ लेकर चल
स्वर्ग होगा तेरा घर दिल में आदर भाव लेकर चल
तभी सृस्टि ने औरत को ''बिमल ''धरती उतारा है
उसी से कौम है ,जन्नत उसी से जहां ये सारा है।
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