सड़कों के किनारे ,
खेतों के सहारे
पेड़ों की कतारें हों ,
दिलकश नज़ारे हों ,
कहीं जामुन के पेड़ हों ,
कहीं वृक्षों पर सेब हों
सावन के नज़ारे हों ,
झूले हों, बहारें हों
मेघा घिर घिर आते हों ,
''बिमल ''प्रदूषण भगाते हों।
********
खेतों के सहारे
पेड़ों की कतारें हों ,
दिलकश नज़ारे हों ,
कहीं जामुन के पेड़ हों ,
कहीं वृक्षों पर सेब हों
सावन के नज़ारे हों ,
झूले हों, बहारें हों
मेघा घिर घिर आते हों ,
''बिमल ''प्रदूषण भगाते हों।
********
No comments:
Post a Comment