Thursday 25 September 2014

गंगा को मैली किया

 शिव के सिर गंगा विराजे ,पूजे हर इंसान ,
गंगा को को मैली किया ,कितना तू नादान।

कचरा ,गन्दगी बन कर नाले ,गंगा से जा मिलते हैं
फिर कहते गंगा नहाकर ,पाप कलुष सब धुलतें हैं
क्यों दूषित उसको करें , जिसमें करें स्नान
गंगा को को मैली किया ,कितना तू नादान।

गंगा माँ है ,माँ को कोई दूषित नही है करता
दुःख हरनी  गंगाजल ,प्यासे की प्यास है हरता
ये ,तो खतों में हरियाली ,क्यों न हों कुर्बान
गंगा को को मैली किया ,कितना तू नादान।

गंगा में मलमल नहाया ,अपने पाप सब धोए
गंगा को मैली किया ,किससे दुखड़ा ये रोय
 स्वच्छ करें गंगा'' बिमल '' अब कर्म करें महान
गंगा को को मैली किया ,कितना तू नादान।

***************************** बिमला देवी

No comments:

Post a Comment