कहीं इबोला का कहर,
तो कहीं हुदहुद का ,
साजिश प्रकृति की नहीं ,
कसूर है हम सब का।
प्रकृति को उजाड़ कर,
जंगल मिटा डाले ,
जंगल को कर दिया फनाह ,
शहर बसा डाले।
मोबाईल के टावर कहीं,
चिमनी का धुआँ ,
पक्षियों की उड़ान नहीं,
दूषित सब हुआ.
एड्स ,डेंगू अब इबोला
ने जकड़ा है इंसान
'बिमल 'खता है हम सब की
अब होता क्यों परेशान।
************* बिमला देवी
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