Friday 10 October 2014

चेहरे मुखौटे बन गए

चेहरे मुखौटे बन गए ,
             दिल बने खंजर
इस भूमि पर कुछ न उगेगा ,
          हो गई जो बंजर।

नेहा के फूल ईर्ष्या की
                अग्नि में जलकर रख हुए ,
     कितने आशियाँ बिखर गए
             कितने ही घर बर्बाद हुए.

औरो को गिराने की चाहत में ,
           खुद का कर डाला अपमान
जब खुद की नज़र में गिरे 'बिमल '
             क्या मिला तुझ को सम्मान।

     ****************बिमला देवी 

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