Bimla Devi
Saturday, 8 November 2014
Thursday, 30 October 2014
क्या नीलोफर को तरस है आया ?
नीलोफर का वेग जरा सा कम हो आया है,
जैसे प्रकृति को भी हम पर तरस हो आया है.
नीलोफर है चक्रवात क्या रंग दिखाएगा ,
आशंका का कोहरा जाने कब छट पाएगा ,
असंतुलित वातावरण को संतुलित हम करें,
प्राकृतिक आपदाओं से बिमल'' यूं बचें।
*********बिमला देवी
जैसे प्रकृति को भी हम पर तरस हो आया है.
नीलोफर है चक्रवात क्या रंग दिखाएगा ,
आशंका का कोहरा जाने कब छट पाएगा ,
असंतुलित वातावरण को संतुलित हम करें,
प्राकृतिक आपदाओं से बिमल'' यूं बचें।
*********बिमला देवी
Monday, 27 October 2014
नीलोफर
नीलोफर के आने का संकेत मिला है ,
प्रकृति को यूँ लगता हमसे गिला है।
पहले हुदहुद ,नीलोफर अब ,क्या करें,
अपने किए हुए कर्मों का मिला सिला है।
जंगल दिए उजाड़ ,प्रकृति को किया फ़ना ,
जिधर भी देखो प्रकृति संतुलन हिला है।
''बिमल ''न सोची बच्चोँ को हम क्या देते हैं ,
इन बेचारों को प्रदूषण उपहार मिला है।
***********************बिमला देवी
प्रकृति को यूँ लगता हमसे गिला है।
पहले हुदहुद ,नीलोफर अब ,क्या करें,
अपने किए हुए कर्मों का मिला सिला है।
जंगल दिए उजाड़ ,प्रकृति को किया फ़ना ,
जिधर भी देखो प्रकृति संतुलन हिला है।
''बिमल ''न सोची बच्चोँ को हम क्या देते हैं ,
इन बेचारों को प्रदूषण उपहार मिला है।
***********************बिमला देवी
Sunday, 26 October 2014
क्यों रुलाई जा रही औरत
जहां वेदों मे औरत को, पूजा और सराहा है ,
कभी भक्ति ,कभी शक्ति खुदा का रूप बताया है ,
वहाँ इस देश में क्यों कर, रुलाई जा रही औरत ,
कभी हिंसा, कभी वहशत ,मिटाई जा रही औरत।
********बिमला देवी
कभी भक्ति ,कभी शक्ति खुदा का रूप बताया है ,
वहाँ इस देश में क्यों कर, रुलाई जा रही औरत ,
कभी हिंसा, कभी वहशत ,मिटाई जा रही औरत।
********बिमला देवी
Wednesday, 22 October 2014
धन वैभव की देवी लक्ष्मी
धन वैभव की देवी लक्ष्मी ,
इतना सा उपकार करें,
कोई न भूखा जाए घर से,
इतना पर उपकार करें।
संतोषामृत से सराबोर हों ,
अभिमान का नाम न हो,
संकटमोचन बनें सदा सब,
परहित पर कल्याण तो हों।
हर बाधा को पार करें सब ,
कभी न डोले मन किसी का
मानव जीवन सद्कर्म को
कलुष हृदय का , मिटे सभी का।
जैसे दीपक दीपावली के
दूर करें जग का अन्धेरा
वैसे हृदय तम दूर करो अब
मिट जाए अज्ञान अँधेरा।
******बिमला देवी
इतना सा उपकार करें,
कोई न भूखा जाए घर से,
इतना पर उपकार करें।
संतोषामृत से सराबोर हों ,
अभिमान का नाम न हो,
संकटमोचन बनें सदा सब,
परहित पर कल्याण तो हों।
हर बाधा को पार करें सब ,
कभी न डोले मन किसी का
मानव जीवन सद्कर्म को
कलुष हृदय का , मिटे सभी का।
जैसे दीपक दीपावली के
दूर करें जग का अन्धेरा
वैसे हृदय तम दूर करो अब
मिट जाए अज्ञान अँधेरा।
******बिमला देवी
Tuesday, 21 October 2014
Sunday, 19 October 2014
प्रदूषण मुक्त दिवाली
दीपक की माला सजा मनाएं दिवाली ,
तेरे मेरे सब के घर आए खुशहाली।
आतिशबाजी और पटाखों से करें परहेज ,
प्रदूषण की चपेट मे न आए अब देश।
अपने अपने धर्मानुरूप पूजन करें सब ,
कोशिश हो एक दूजे के दुःख को हरें सब।
भ्रातृत्व भाव हो मिलकर बिमल 'खाएं मिठाई ,
कह सकें प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाई।
*************बिमला देवी
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